Friday, March 4, 2011

बटुकेश्वर दत्त

India sometimes disappoints me to the dead bottom! A person ruined his life with Bhagat Singh for the nation, and what did the country do with him? Is there anyone in establishment who can now do something for the family of this freedom fighter?


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भारत में स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों की उपेक्षा आम बात है और इसी श्रेणी में बटुकेश्वर दत्त का भी नाम लिया जा सकता है.
बटुकेश्वर दत्त ने भगत सिंह के साथ मिलकर 1929 में तत्कालीन ब्रितानी संसद में बम फेंका था और उसके साथ पर्चे भी. दोनों क्रांतिकारी वहां से भागे नहीं और गिरफ़्तारी भी दी.
बटुकेश्वर दत्त देश की आज़ादी देखने के लिए बचे रहे लेकिन सारा जीवन उन्हें उपेक्षा में ही बिताना पड़ा.




अनिल वर्मा बताते हैं, ‘‘बटुकेश्वर दत्त को कोई सम्मान नहीं दिया गया स्वाधीनता के बाद. निर्धनता की ज़िंदगी बिताई उन्होंने. पटना की सड़कों पर सिगरेट की डीलरशिप और टूरिस्ट गाइड का काम करके बटुकेश्वर ने जीवन यापन किया. उनकी पत्नी मिडिल स्कूल में नौकरी करती थीं जिससे उनका घर चला.
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Shameful!!!
अच्छा हुआ की भगत सिंह को अंग्रेजो ने फांसी दे दी, नहीं तो आज़ादी के बाद वो ये सब देख के खुद ही फांसी लगा के मर जाता!!!