Sunday, December 23, 2012

Death Penalty for Rape: Should it be there??

सन 2000 के आसपास भी इस तरह के अपराध के लिए म्रत्युदंड की सजा की मांग उठी थी, और लाल कृष्ण आडवाणी, उस समय के गृह मंत्री और  उपप्रधानमंत्री, ने इस की पुरजोर वकालत की थी। आज देश गृह मंत्री से कह रहा है, उस समय गृह मंत्री देश में घूम घूम के पूरे देश से कह रहा था। मैं भी इसका बड़ा समर्थक था, और उन दिनों रोज़ अखबार में इस खबर पर आगे की प्रगति ढूँढता था। मुझे बड़ी निराशा हुई थी जब स्वयं महिलाओं के संगठन, National Commission for Women (NCW), ने इसे सिरे से नकार दिया था।

उनका कहना ये था की अभी तो पीड़ित को जिंदा छोड़ दिया जाता है, पर अगर मौत की सज़ा पक्की हो गयी तो कोई भी अपराधी पीडिता को जिंदा ही नहीं छोड़ेगा, simple! जब वो ये सब कर सकता है, तो अपनी जान बचाने के लिए पीडिता की जान भी ले लेगा।

मैं निराश हुआ, मुझे उन दिनों बहुत तेज़ गुस्सा आया, पर बाद में मुझे उनकी बात ठीक ही लगी।

मुझे आश्चर्य होता है कि यह सब किसी राजनेता ने quote  नहीं किया है, इस विषय पर एक समय पर बहुत मंथन हुआ है। Media वालो की तो बात ही क्या करें!

 इस तरह के cases के लिए सजा को बढ़ा कर पांच  गुना, कम से कम 25 साल कर देना चाहिए। इस समय ये 7 साल है। अलग से courts  होने चाहिए, जहा victim की privacy पूरी तरह ensure  की जा सके, speedy trial होना चाहिए, जहाँ 3-6 महीने के अन्दर ही केस का निपटारा हो, महिला पुलिसकर्मी और महिला जज ही हो, एक 24x 7 नेशनल हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए जिस पर दर्ज कॉल पर कार्यवाही को  एक NGO monitor करे, (much like the anti-ragging helpline), F.I.R दर्ज करने महिला पुलिस पीड़ित के घर जाए, (जिस के साथ यह सब हो गया वो अब पुलिस के चक्कर और काटे!), और समूह-अपराध गैर ज़मानती हो जाये जिस पर और भी कड़ी सज़ा हो, और सरकार समय समय पर संचार माध्यमो में सन्देश प्रसारित करवाए (उपभोक्ता अदालतों और high way पर सुरक्षा के सन्देश तो ज़रूरी हैं, इसके नहीं! वाह!


बहरहाल, NCW की बात मुझे ठीक ही लगी थी।



Reference links:
NCW rejects death sentence in rape cases: April 3, 2000

Advani favours death sentence for rapists









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