Monday, December 15, 2008

घर से बहुत दूर है मस्जिद

घर से बहुत दूर है मस्जिद, चलो यूँ कर लें

किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए...

- निदा फाज़ली

निदा फाज़ली साहब जब पाकिस्तान गए और एक मुशायरे में ये शेर पढ़ा तो बकौल उनके "मुशायरा ख़त्म होने के बाद कुछ लम्बी लम्बी दाढियाँ मेरे पास आयीं और घेर कर बोलीं कि आप कहना क्या चाहते हैं... क्या बच्चा मस्जिद से बड़ा हो गया ? मैं बोला कि मुझे ये तो नहीं पता कि मस्जिद बड़ी है या बच्चा, पर इतना ज़रूर जानता हूँ कि मस्जिद को इंसान के हाथों ने बनाया है, और बच्चे को अल्लाह के !"

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