Tuesday, May 29, 2007

Nahi rakhta...

A song from Lucky Ali's Album 'Sifar' whose lyrics I like very much. Written by Syed Aslam, these are mesmeric...



नहीं रखता दिल में कुछ
रखता हूँ ज़ुबाँ पर
समझे ना अपने भी कभी...

कह नहीं सकता मैं क्या
सहता हूँ छुपा कर
इक ऐसी आदत है मेरी...

सभी
तो हैं जिनसे मिलता हूँ
सही जो है इनसे कहता हूँ
जो समझता हूँ....

मैंने देखा नहीं रंग दिल आया है सिर्फ अदा पर
इक ऐसी चाहत है मेरी...

बहारों के घेरे से लाया मैं दिल सजा कर
इक ऐसी सोहबत है मेरी...

साये में छाये रहता हूँ...
आँखें बिछाये रहता हूँ...
जिनसे मिलता हूँ...



कितनों को देखा है हमने यहाँ
कुछ सीखा है हमने इनसे नया...

पहले फुर्सत थी अब हसरत है समाकर
इक ऐसी उलझन है मेरी...

खुद चलके रुकता हूँ जहाँ जिस जगह पर
इक ऐसी सरहद है मेरी...

कहने से भी मैं डरता हूँ...
अपनों की धुन में रहता हूँ...
कर क्या सकता हूँ...

दे सकता हूँ मैं थोड़ा प्यार यहाँ पर
जितनी हैसीयत है मेरी...

रह जाऊँ सबके दिल में दिल को बसा कर
इक ऐसी नीयत है मेरी...

हो जाये तो भी राज़ी हूँ...
खो जाऊँ तो मैं बाक़ी हूँ...
यूँ समझता हूँ...


रस्ते बदले बदला जहाँ
फिर क्यों कदम हैं बदलते यहाँ...





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