Saturday, August 7, 2010

इस जीने का क्या मतलब था?

‘‘...अपनी ज़िंदगी में तुमने क्या किया?  किसी से सच्चे दिल से प्यार किया? किसी दोस्त को नेक सलाह दी? किसी दुश्मन के बेटे को मोहब्बत की नज़र से देखा? जहाँ अँधेरा था वहाँ रौशनी की किरन ले गये? जितनी देर तक जिये, इस जीने का क्या मतलब था..?...’’


-कृश्नचंदर, प्रख्यात उर्दू साहित्यकार

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